बेटा-बहू अपने बेडरूम में बातें कर रहे थे। द्वार खुला होने के कारण उनकी आवाजें बाहर कमरे में बैठी माँ को भी सुनाई दे रहीं थीं।
बेटा---" अपने जॉब के कारण हम माँ का ध्यान नहीं रख पाएँगे, उनकी देखभाल कौन करेगा ? क्यूँ ना, उन्हें
वृद्धाश्रम में दाखिल करा दें, वहाँ उनकी देखभाल भी होगी और हम भी कभी कभी उनसे मिलते रहेंगे। "
बेटे की बात पर बहू ने जो कहा, उसे सुनकर माँ की आँखों में आँसू आ गए।
बहु---"पैसे कमाने के लिए तो पूरी जिंदगी पड़ी है जी, लेकिन माँ का आशीष जितना भी मिले, वो कम है। उनके लिए पैसों से ज्यादा हमारा संग-साथ जरूरी है। मैं अगर जॉब ना करूँ तो कोई बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा। मैं माँ के साथ रहूँगी। घर पर tution पढ़ाऊँगी, इससे माँ की देखभाल भी कर पाऊँगी। याद करो, तुम्हारे बचपन में ही तुम्हारे पिता नहीं रहे और घरेलू काम धाम करके तुम्हारी माँ ने तुम्हारा पालन पोषण किया, तुम्हें पढ़ाया लिखाया, काबिल बनाया। तब उन्होंने कभी भी पड़ोसन के पास तक नहीं छोड़ा, कारण तुम्हारी देखभाल कोई दूसरा अच्छी तरह नहीं करेगा। तुम आज ऐसा बोल रहे हो। तुम कुछ भी कहो, लेकिन माँ हमारे ही पास रहेंगी, हमेशा, अंत तक। "
बहु की उपरोक्त बातें सुन, माँ रोने लगती है और रोती हुई ही पूजा घर में पहुँचती है। ईश्वर के सामने खड़े होकर माँ उनका आभार मानती है और उनसे कहती है---
" भगवान, तुमने मुझे बेटी नहीं दी, इस वजह से कितनी ही बार मैं तुम्हे भला बुरा कहती रहती थी, लेकिन ऐसी भाग्यलक्ष्मी देने के लिए तुम्हारा आभार मैं किस तरह मानूँ...? ऐसी बहू पाकर, मेरा तो जीवन सफल हो गया प्रभु।
*हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे*
*हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे* 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏