राजू पाल और अतीक अहमद, भाई असरफ
करीब दोपहर का 3 बज रहा होगा,, प्रयागराज पश्चिम में
एक 24 साल का नौजवान खून से लथपथ सड़क पर भाग रहा था शरीर में 8 से 10 गोलियां लगी थी वो अपनी जान बचाने के लिए लोगों से गुहार लगा रहा था, उसके पीछे पीछे 4 गाड़ियों से 20 लोग लगातार फायरिंग करते हुऐ उसे दौड़ा रहे थे आख़िर इतनी गोलियां लगने के बाद वो कहां तक भाग पाता, कुछ दूर तक भागने के बाद वो गिर पड़ा,, उसे मरा हुआ समझ कर असरफ और उसके 20 गुंडे वहां से निकल जाते हैं,, करीब आधे घंटे बाद जब अतीक को पता चला की उस नौजवान की सांसे अभी कल रही हैं और उसके समर्थक उसे टेंपो में लाद कर अस्पताल ले जा रहे हैं तो अतीक ने असरफ को कहा जिसे तुम मरा हुआ समझ कर छोड़ आए हो वो अभी ज़िंदा है, ये सुन कर असरफ फिर अपने गुर्गों के साथ अस्पताल के बीच में ही टेंपो रोक कर सैकड़ों गोलियां उसके शरीर में उतार देते हैं,, दिन दहाड़े जिसकी हत्या हो जाती है वो कोई आम आदमी नही था वो विधायक राजू पाल था जिसको बडी बेरहमी से मार डाला गया था, जिसकी शादी हुए महज 7 दिन ही हुए थे अभी तो उसकी बीबी के हाथ की मेंहदी भी नहीं छूटी थी उसका सुहाग को अतीक अहमद ने सरे बाजार उजाड़ दिया था ..
जिस नरपिसाच ने 44 सालों के अपने आपराधिक इतिहास में सैकड़ों हत्या करवाई हों उसके मारे जाने पर प्रदेश के कुछ नेता छाती पीट रहे हैं..
हर गुंडे का अंत होता है लेकीन जिस तरह से इसका अंत हुआ है..
मेरी नजर में वो हत्या नही बल्कि कुछ नौजवानों ने एक राक्षस का वध किया है,, और धरती से एक अत्याचारी को भार मुक्त किया है,
मैं उसकी हत्या को सही नही कह सकता तो उसके वध को गलत भी नही कह सकता